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संघ और उसका राज्य क्षेत्र

  • Writer: K.K. Lohani
    K.K. Lohani
  • Jul 7, 2018
  • 13 min read

Updated: Mar 16, 2021



संघ और उसका राज्य क्षेत्र

अनुच्छेद 1-4

  • भारतीय संविधान के भाग-1 में संघ और उसके राज्य क्षेत्र में प्रावधान किया गया है।

  • यह प्रावधान अनुच्छेद-1 से 4 तक व्याख्यातित है।

  • अनुच्छेद-1 में भारत अर्थात INDIA राज्यों का संघ होगा नामकरण से अभिहित किया गया है।

  • भारत के राज्य क्षेत्र में राज्यों के राज्य क्षेत्र संघ राज्य क्षेत्र और अन्य राज्य क्षेत्र जो अर्जित किये जाए, जैसे भारत में पुदुचेरी, कारिकल, माहि और यमन (फ्रांसीसी) और गोवा, दमन और दीव और दादर तथा नागर हवेली (पुर्तगाली) जैसे फ्रांसीसी तथा पुर्तगाली अधिकृत क्षेत्र समाविष्ट होंगे, जो भारत में उनके विधित: अन्तकरण के बाद 1962 में 14 वें, 12 वें और 10 वें संविधान संशोधन के द्वारा संघ में जोड़ दिए गए थे।

NOTE : भारत के संविधान के संघ (UNION) शब्द के प्रयोग के सम्बन्ध में वर्ष 1909 के “दक्षिण अफ्रीका यूनियन अधिनियम”(UNION OF THE SOUTH AFRICA ACT, 1909) की भाषा को संभवतः आधार बनाया है.

  • प्रथम अनुसूची में राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रो के नाम तथा प्रत्येक के अंतर्गत आनेवाले राज्य क्षेत्रो का वर्णन किया गया है।

  • भारत को राज्यों के संघ के विद्यमान रूप में लाने के लिए सर्वप्रथम ब्रिटिश भारत तथा रियासतों का एकीकरण किया गया तथा तत्पश्चात भाषाई आधार पर इसका पुनर्गठन किया गया।

एकीकरण प्रक्रिया

  • यद्यपि ब्रिटिश सरकार ने 12 मई 1946 को देशी रियासतों पर एक श्वेतपत्र प्रकाशित करके तथा स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 में कुछ ऐसे प्रावधान किये थे की भारत अनेक खंडो में बंट जाए, तथापि तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अत्यंत सूझ-बुझ का परिचय देते हुए लॉर्ड माउन्ट बेटेन की सहायता से ब्रिटिश सरकार की कुचेष्टा पर कुठाराघात कर दिया।

  • स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भरत में 542 देशी रियासते थी जिनमें 539 रियासते ने भरत में स्वतंत्रता से अपना विलय कर लिया. शेष तीन रियासते जुनागढ़, हैदराबाद तथा जम्मू कश्मीर को भारत में विलीन करने में कठिनाई हुई।

  • जूनागढ़ रियासत को जनमत संग्रह के आधार पर भारत में मिलाया गया, जब उसका शासक पाकिस्तान भाग गया।

  • हैदराबाद की रियासत को पुलिस कार्यवाई करके भारत में मिलाया गया और जम्मू कश्मीर रियासत के शासक ने पाकिस्तानी कबाइलियो के आक्रमण के कारण विलय पत्र पर हस्ताक्षर करके अपनी रियासत को भारत में मिलाया।

  • ब्रिटिश  प्रान्तों व देशी रियासतों का एकीकरण करके भारत में चार प्रकार के राज्यों का गठन किया गया। ये राज्य थे –

(1) ‘A’ राज्य : 216 देशी रियासतों को ब्रिटिश भारत के पड़ोसी प्रान्तों में मिलाकर ‘A’ राज्य का गठन किया गया। ये राज्य थे – असम, बिहार, बम्बई, मध्य प्रदेश, मद्रास,  उड़ीसा, पंजाब, संयुक्त प्रान्त, पश्चिम बंगाल, आंध्र. इनकी संख्या 10 थी।

(2) ‘B’ राज्य : 275 देशी रियासतों को नयी प्रशानिक इकाई में गठित करके ‘B’ राज्य को श्रेणी प्रदान की गई। ये राज्य थे –  हैदराबाद, जम्मू कश्मीर, मध्य भारत, मैसूर, पेप्सू, राजस्थान, सौराष्ट्र, ट्रावनकोर, कोचीन। इनकी संख्या 8 थी।

(3) ‘C’ राज्य : 81 देशी रियासतों को एकीकृत करके ‘C’ राज्य की श्रेणी में रखा गया। ये राज्य थे – अजमेर, कच्छ, मणिपुर, त्रिपुरा  तथा विन्ध्य प्रदेश इनकी संख्या 9 थी।

(4) ‘D’ राज्य : अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के D राज्य की श्रेणी में रखा गया था।


आंध्र अधिनियम, 1953 द्वारा भाषाई आधार पर आंध्र के एक पृथक राज्य का सृजन किया गया. अंततः संविधान (7 वां संशोधन) अधिनियम 1956 के अधीन राज्यों के पुनर्गठन ने भाग-A तथा भाग-B के राज्यों का अंतर समाप्त कर दिया।

NOTE : सर्वप्रथम 1912 में भाषाई आधार पर तीन राज्यों बिहार, उड़ीसा तथा असम का गठन किया गया था।

  1. इस समय सूचि में निम्नलिखित – 29 राज्य तथा सात संघ राज्य क्षेत्र सम्मिलित है।

भारत के 28 राज्य

  1. आंध्र प्रदेश : आंध्रो का देश अर्थात आंध्र प्रदेश भाषाई आधार पर पृथक रूप से गठित भारत का प्रथम राज्य है. इसका गठन आंध्र प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1953 के माध्यम से हुआ था।

  2. पश्चिम बंगाल : वर्ष 1957 के प्लासी के युद्ध ने इतिहास की धारा को मोड़ दिया जब अंग्रेजों ने पहले-पहल बंगाल में अपने पांव जमाये। वर्ष 1905 में अंग्रेजों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए बंगाल का विभाजन कर दिया। किन्तु कांग्रेस के नेतृत्व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए 1911 में बंगाल को फिर एक कर दिया गया। वर्ष 1947 में देश की आजादी और विभाजन के साथ बंगाल भी बंटा (पश्चिम बंगाल भारत के हिस्से में जबकि पूर्वी बंगाल पाकिस्तान के हिस्से में, बाद में पूर्वी बंगाल का अभ्युदय बांग्ला देश के रूप में हुआ।) 1947 के बाद देशी रियासतों के विलय का काम शुरू हुआ और राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की सिफारिशों के अनुसार पड़ोसी राज्यों के कुछ बांग्लाभाषी क्षेत्रों को भी पश्चिम बंगाल में मिला दिया गया। यहाँ की मुख्य भाषा बांग्ला है

  3. जम्मू और कश्मीर : राजतरंगिनी तथा नीलमत पुराण नामक दो प्रामाणिक ग्रंथो में यह आख्यान मिलता है की कश्मीर की घाटी कभी बहुत बड़ी झील हुआ करती थी। इस कथा के अनुसार, कश्यप ऋषि ने यहाँ से पानी निकाला और इसे मनोरम प्राकृतिक स्थल के रूप में बदल दिया। मूलतः “कश्यमीर” शब्द से अभ्रंश शब्द कश्मीर बना. 26 अक्टूबर, 1947 को यह भारत संघ का सदस्य बना। कश्मीरी, डोंगरी, उर्दू तथा लद्दाखी यहाँ की मुख्य भाषाएँ है।

  4. ओडिसा : उड़िया लोगों की भूमि के कारण इसका नाम उड़ीसा (परिवर्तित नाम – ओडिसा) पड़ा। 19 अगस्त, 1949 को गठित उड़ीसा (राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 द्वारा पुनर्गठित) का प्राचीन नाम कलिंग था।

  5. बिहार : यहाँ पर अनेकानेक बौद्ध मठों (विहारों) के चलते इसका नाम बिहार पड़ा. राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के द्वारा इसका पुनर्गठन किया गया था। यह हिंदी भाषी प्रान्त है।

  6. उत्तर प्रदेश : उत्तर में अवस्थित होने के कारण इसका नाम उत्तर प्रदेश पड़ा। अंग्रेजो ने आगरा और अवध नामक दो प्रान्तों को मिलाकर एक प्रान्त बनाया जिसे आगरा व अवध संयुक्त प्रान्त के नाम से पुकारा जाता था। बाद में 1935 में केवल संयुक्त प्रान्त कहा जाने लगा। जनवरी 1950 में संयुक्त प्रान्त का नाम उत्तर प्रदेश हुआ। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के द्वारा पुनर्गठित। मुख्य भाषाए हिंदी व उर्दू है।

  7. असोम : “असम” का अर्थ होता है, अद्वितीय। पहाड़ों व घाटियों के कारण यहाँ की भूमि सम अर्थात बराबर नहीं है। अतः इसे असम (प्रवर्तित नाम – असोम) कहा जाता है। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के आधार पर 1956 में इसका गठन हुआ।

  8. केरल : केरा (जिसका अर्थ होता है नारियल के वृक्षों की भूमि) शब्द से केरल का नामकरण हुआ है। एक और उल्लेख मिलता है की “चेरलम्” (चेर का आशय पाना या जोड़ना होता है, तदनुसार जो भूमि समुद्र से प्राप्त कर जोड़ी गई हो।) से “केरलम्” की उत्पत्ति हुई है। केरल पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के द्वारा 1 नवम्बर, 1956 को केरल (पूर्ववर्ती राज्य क्षेत्र त्रावणकोर-कोचीन) का पुनर्गठन किया गया। यहाँ की मुख्य भाषा मलयालम है।

  9. मध्य प्रदेश : मध्य भारत की भूमि के कारण इसका नामकरण मध्य प्रदेश हुआ। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के द्वारा 1 नवम्बर 1956 को मध्य प्रदेश का पुनर्गठन हुआ। यहाँ की मुख्य भाषा हिंदी है।

  10. राजस्थान : क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। “रायथान” शब्द से राजस्थान बना है। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 से द्वारा 1 नवम्बर, 1956 को इसका पुनर्गठन हुआ। हिंदी व राजस्थानी मुख्य भाषाएं है।

  11. गुजरात : गुर्जरों के राष्ट्र के चलते गुजरात नामकरण हुआ। “बम्बई पुनर्गठन अधिनियम, 1960” द्वारा बम्बई राज्य को दो भागों (गुजरात एवं महाराष्ट्र) में बाँटा गया था। गुजरती भाषी गुजरात का वर्तमान अस्तित्व 1 मई, 1960 में आया था।

  12. महाराष्ट्र : महा अर्थात महान या श्रेष्ठ अतीत के कारण नामकरण पड़ा। यह पूर्ण राज्य के रूप में 1 मई, 1960 को अस्तित्व में आया।

  13. नगालैंड : नगा लोगों की भूमि अर्थात नगालैंड (ये लोग भारतीय मंगोल वर्ग से है.) स्वतंत्रता के पश्चात 1957 में केंद्र शासित प्रदेश बन गया तथा असम के राज्यपाल द्वारा इसका प्रशासन देखा जाने लगा। यह “नागा हिल्स तुएनसांग क्षेत्र” कहलाने लगा। यह व्यवस्था यहाँ की जनता की आकांक्षाओ पर खरी नहीं उतरी। 1961 में इसका नाम बदलकर नगालैंड राज्य अधिनियम, 1962 के द्वारा भारतीय संघ के राज्य का दर्जा (इस सम्बन्ध में 13वां संविधान संशोधन अधिनियम 1962 भी देखें) दिया गया। जिसका विधिवत उदघाटन 1 दिसंबर, 1963 को हुआ। यहाँ की मुख्य भाषाएं अंगामी, आओ, चांग, कोन्याक, लोथा, संगताम, सेमा तथा चखेसांग है।

  14. हरियाणा : हरियाली से युक्त क्षेत्र के चलते हरियाणा नामकरण हुआ। एक विद्रूप शब्द (अर्थात लूटमार) से भी हरियाणा शब्द की व्युत्पत्ति मानी जाती है। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के द्वारा 1 नवम्बर, 1966 को हरियाणा का गठन हुआ।

  15. पंजाब : पंजाब दो फारसी शब्दों का मेल है। पंज अर्थात पांच तथा आब अर्थात पानी (वृहद अर्थों में नदी)। यही कारण है, की इसे 5 नदियों का प्रदेश भी कहा जाता है। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के द्वारा 1 नवम्बर, 1966 को इसका पुनर्गठन हुआ।

  16. तमिलनाडु : तमिल भाषी प्रान्त होने के कारण इसका नामकरण तमिलनाडु हुआ। 14 जनवरी, 1969 को यह पूर्ण राज्य के रूप में गठित हुआ। यहाँ की मुख्य भाषा तमिल है।

  17. हिमाचल प्रदेश : लोकगाथाओ और सौन्दर्य की भूमि हिमाचल का नामकरण ‘ हिम’ अर्थात ‘बर्फ’ और ‘अंचल’ अर्थात पहाड़ के आधार पर हुआ है। 25 जनवरी, 1971 (हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम, 1970) को इसका पुनर्गठित स्वरूप अस्तित्व में आया। यहाँ पर हिंदी और पहाड़ी बोली प्रचलन में है।

  18. मणिपुर : मणियों (रत्नों) का नगर के आधार पर इसका नामकरण हुआ। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के द्वारा इसे संघ राज्य क्षेत्र बनाया गया था। किन्तु 27 जनवरी, 1972 को इसे राज्य का दर्जा दिया गया।

  19. त्रिपुरा : त्रिपुरा नामक शासक द्वारा बसाए जाने के कारण इसका नामकरण त्रिपुरा हुआ। एक अन्य उल्लेख है की त्रिपुरारी (शिव) की पूजा इस क्षेत्र में अधिक होने के कारण इसका नाम त्रिपुरा पड़ा। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अंतर्गत त्रिपुरा को संघ राज्य क्षेत्र घोषित किया गया था। किन्तु 21 जनवरी, 1972 में इसने पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त कर लिया। यहाँ की मुख्य भाषाए बांग्ला एवं काकवरक है।

  20. मेघालय : मेघ अर्थात बादल एवं आलय अर्थात घर के मिलन से मेघालय (अधिक वर्षा के कारण) शब्द बना। 1969 में 22वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा 2 अप्रैल, 1970 को असम राज्य में एक नए स्वायत राज्य मेघालय का निर्माण किया गया, जबकि 21 फरवरी, 1972 को इसे पूर्ण राज्य के रूप में पुनर्गठित किया गया। खासी, गारो तथा अंग्रेजी यहाँ की मुख्य भाषाएं है।

  21. कर्नाटक : कुरुनाडू (इसका अर्थ भव्य व उच्च भूमि होता है) शब्द से कर्नाटक शब्द की उत्त्पति हुई। मैसूर पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के माध्यम से मैसूर राज्य का गठन किया गया था। 1 नवम्बर, 1973 को मैसूर से परिवर्तित करके इसका नाम कर्नाटक किया गया। यहाँ की मुख्य भाषा कन्नड़ है।

  22. सिक्किम : पहले सहयुक्त राज्य बाद में भारत संघ का पूर्ण सदस्य (26 अप्रैल, 1975) बना। लेप्चा, भूटिया और नेपाली यहाँ की मुख्य भाषाएं है।

  23. मिजोरम : “मिजो” का अर्थ पहाड़वासी होता है। मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 का अंतर्गत (भारत सरकार एवं मिजो नेशनल फ्रंट के बीच 1986 में हुए समझौते के कार्यान्वयन हेतु) 20 फरवरी, 1987 को मिजोरम (इसके सम्बन्ध में 53वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1986 भी लाया गया था) जो पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। यहाँ की मुख्य भाषा मिजो व अंग्रेजी है।

  24. अरुणाचल प्रदेश : उषाकालीन प्रकाश की मनोहारी छटा वाले इस पर्वतों वाले प्रदेश का गठन अरुणाचल प्रदेश अधिनियम, 1986 के अंतर्गत किया गया। 20 फरवरी, 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। यहाँ की भाषा मोनाया एवं आकामीजी है।

  25. गोवा : 30 मई, 1987 को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।

  26. छत्तीसगढ़ : वस्तुतः 36 गढ़ों (किले) की उपस्थिति के चलते इसका नामकरण हुआ। मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के अंतर्गत 1 नवम्बर, 2000 को यह पूर्ण राज्य के रूप में गठित हुआ। यहाँ हिंदी व छत्तीसगढी बोली जाती है। यह भारत का 26 वां राज्य है।

  27. उत्तराखंड : इस राज्य का नामकरण उत्तर अर्थात उत्तर दिशा और खंड अर्थात क्षेत्र (अथवा अंचल के आधार पर उत्तरांचल) के आधार पर पड़ा। उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के द्वारा 9 नवम्बर, 2000 को इसका गठन हुआ। यह भारत का 27 वां राज्य है। यहाँ हिंदी व पहाड़ी बोली प्रचलन में है।

  28. झारखण्ड : “झार” अर्थात झाडियों और खंड बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के द्वारा 15 नवम्बर, 2000 को इसका गठन किया गया। यह भारत का 28वां राज्य है। हिंदी व संथाली यहाँ की मुख्य भाषाए है।

  29. तेलंगाना : तेलंगाना, आंध्र प्रदेश राज्य से अलग होकर 29वें राज्य के रूप में 2 जून, 2014 को गठित किया गया। हैदराबाद को 10 साल के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाया गया है यह परतंत्र भारत के हैदराबाद नामक रजवाड़े के तेल्गुभाषी क्षेत्रों से मिलकर बना है। “तेलंगाना” शब्द का अर्थ है – “तेलगु भाषियों की भूमि”. राज्य के गठन के समय तेलंगना में आंध्र प्रदेश के 23 जिलों में से 10 जिले आये थे। इस क्षेत्र को आंध्र प्रदेश की 294 में से 119 विधानसभा सीटों में से 17 सीटें प्राप्त हुई। वर्तमान में इस राज्य में 31 जिले है। यहाँ की मुख्य भाषा तेलगु एवं उर्दू है।

Note : भारत का क्रमानुसार 25वां राज्य गोवा है, जबकि छत्तीसगढ़ 26वां, उत्तराखंड 27वां, झारखण्ड 28वां तथा तेलंगाना 29वां है।


भारत के 7 केंद्र शासित प्रदेश

  1. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह : यह 204 द्वीपों का समूह है जो बंगाल की खाड़ी में स्थित है। यहाँ रिची आकिर्पेलागो तथा लेबोरिन्थ द्वीपों के दो प्रमुख समूह है। निकोबार द्वीप समूह अंडमान के दक्षिण में छोटे अंडमान द्वीप में 121 किमी. दूर है। यहाँ आबादी वाले कुल 38 द्वीप है जिनमें 25 अंडमान में तथा 13 निकोबार जिले में है। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के माध्यम से यह संघ राज्य-क्षेत्र बनाया गया। यहाँ का कार्यपालक प्रधान उपराज्यपाल (Lieutinant Governor) होता है। यहाँ पर अंडमानी भाषा बोली जाती है, साथ ही हिंदी, निकोबारी, तमिल, बांग्ला, मलयालम व तेलगु भी प्रचलन में है।

  2. चंडीगढ़ : शिवालिक पहाड़ियों की नयनाभिराम तलहटी में बसा चंडीगढ़ वास्तविक अर्थों में एक खुबसूरत शहर है। फ्रांसीसी वास्तुविद ला काईजीए द्वारा निर्मित यह शहर आधुनिक स्थापत्य कला तथा नगर नियोजन का शानदार नमूना है। चंडीगढ़ और उसके आसपास के क्षेत्र को 1 नवम्बर, 1956 को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। इसके उत्तर व पश्चिम में पंजाब तथा पूर्व और दक्षिण में हरियाणा है, तथा यह दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी है। यहाँ के कार्यपालिका प्रमुख का पदनाम प्रशासक (Administrator) है। हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी यहाँ प्रचलित है।

  3. दादरा और नागर हवेली : दादरा और नागर हवेली 1954 तक पुर्तगाली शासक के अधीन थे। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा भारत के पक्ष में निर्णय दिए जाने के बाद इसे संघ में मिलाया गया। 11 अगस्त, 1961 को यह भारत संघ में शामिल हो गया। इसके प्रशासक का पद नाम प्रशासक है। गुजराती व हिंदी यहाँ की मुख्य भाषा है।

  4. दिल्ली : महाकाव्य – महाभारत काल से ही दिल्ली का विशेष उल्लेख रहा है। दिल्ली का शासक एक वंश से दुसरे वंश को हस्तांतरित होता गया। यह मौर्यों से आरम्भ होकर पल्लवों तथा मध्य भारत के गुप्तों से होता हुआ, 13वीं व 14वीं सदी में तुर्क और अफगान और अंत में 16वीं सदी में मुगलों के हाथों पहुंचा। 18वीं सदी में उत्तरार्द्ध एवं 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में दिल्ली में अंग्रेजी शासन की स्थापना हुई। 1911 में कलकत्ता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने पर यह शहर सभी तरह की गतिविधियों का केंद्र बन गया। 1956 में इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ। “राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र” से कार्यपालिका के प्रमुख के रूप में उपराज्यपाल की नियुक्ति की जाती है। जबकि विधान सभा के प्रमुख के रूप में मुख्यमंत्री होता है।

  5. लक्षद्वीप : लक्षद्वीप प्रवाल द्वीपों का एक समूह है। जिसमें 12 प्रवाल द्वीप, तीन प्रवाल भित्ति और जलमग्न बालू के तट शामिल है। यहाँ के कुल 36 द्वीपों में से केवल 11 में आबादी है। 1956 में इसे केंद्र प्रदेश बनाया गया और तब से इसका शासन भारत संघ चला रहा है। वर्ष 1973  में लक्का द्वीप, मिनीकाय और अमीनदीवी द्वीप समूहों का नाम लक्षद्वीप कर दिया गया। यहाँ कार्यपालिका प्रमुख का पदनाम प्रशासक होता है।

  6. दमन और दीव : 12वें संविधान संशोधन अधिनियम 1962 द्वारा इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। इसके पड़ोसी गुजरात व जूनागढ़ है। जहां की मुख्य भाषा गुजरती है। प्रदेश में केंद्रीय प्रशासक के अधीन एक “प्रदेश-परिषद” शासन करती है।

  7. पुदुचेरी : पुदुचेरी का पूर्व नाम पांडिचेरी था। यह किसी समय फ्रांसीसी भारत का मुख्यालय भी हुआ करता था। यह 138 वर्षों तक फ्रेंच शासन के अधीन रहा। 1 नवम्बर, 1956 को भारत में इसका विलय हुआ। यहाँ की व्यवस्थापिका का प्रमुख मुख्यमंत्री होता है। जबकि कार्यपालिका का प्रधान राज्यपाल होता है।

Note : संघ राज्य क्षेत्र के राज्यों को कानून व व्यवस्था के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की विधि बनाने का अधिकार नहीं है।

  • संविधान सभा में देश के नाम पर काफी विस्तार से चर्चा की गई। जहाँ ‘भारत’ प्राचीन नाम था जो देश की एकता तथा अखंडता को अभिव्यक्त करता था। वहीँ ‘इंडिया’ आधुनिक नाम था जिसे विश्व में जाना जाने लगा था. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य के रूप में इसका नाम इंडिया था और सभी अंतर्राष्ट्रीय समझौते इसी नाम से किये गए थे। अंततः ‘भारत’ और ‘इंडिया’ के नाम को एक शुभ समझौते के रूप में स्वीकार कर लिया गया।

  • भारत एक ‘संघ’ है जो संविधान सभा की एक स्पष्ट घोषणा है जिसका प्राधिकार भारत की प्रभुत्व संपन्न जनता से प्राप्त हुआ है।इसलिए कोई भी राज्य संघ से अलग नहीं हो सकता और न ही अपनी मर्जी से संविधान की प्रथम अनुसुची में निर्धारित अपने क्षेत्र में परिवर्तन कर सकता है। अम्बेडकर ने संविधान सभा में कहा था “अमरीकियों को यह सिद्ध करने के लिए गृह युद्ध छेड़ना पड़ा था की राज्यों को अलग होने का कोई अधिकार नहीं है।

अनुच्छेद – 1

  • भारत अर्थात इंडिया राज्यों का संघ होगा. भारत के राज्य क्षेत्र में (a) राज्यों के राज्य क्षेत्र (b) पहली अनुसूची में वर्णित संघ राज्य क्षेत्र और (c) ऐसे अन्य राज्य क्षेत्र जो अर्जित किये जाए शामिल होंगे।

  • उल्लेखनीय है की पहली अनुसूची में 29 राज्य तथा 7 संघ राज्य क्षेत्र का उल्लेख है।

अनुच्छेद – 2 (नये राज्यों का प्रवेश या स्थापना)

  • संसद को यह अधिकार दिया गया है की वह विधि बनाकर संघ में नये राज्यों को प्रवेश दे सकती है या नये राज्यों की स्थापना कर सकती है।

  • सिक्किम राज्य को सिक्किम विधानसभा के अनुरोध पर सिक्किम के लोगो की अनुमति से 1974 तथा 1775 में 35वें तथा 56वें संविधान संशोधन द्वारा नवीन राज्य के रूप में जोड़ा गया था।

अनुच्छेद – 3 (नये राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रो, सीमाओं या नामो में परिवर्तन)

  • संसद को कानून बनाकर निम्नलिखित कार्यो को करने का अधिकार प्राप्त है।

    1. किसी राज्य में उसका राज्य क्षेत्र अलग करके या दो अथवा अधिक राज्यों को या राज्यों के भागो को मिलाकर अथवा किसी राज्य क्षेत्र को किसी राज्य के साथ मिलाकर नये राज्य के निर्माण का।

    2. किसी राज्य क्षेत्र को वृद्धि करने का

    3. किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन करने का

    4. किसी राज्य के नाम में परिवर्तन करने का

  • उपयुक्त चारो अधिकारों का प्रयोग ‘संसद’ विधि बनाकर ही कर सकती है। इसके लिए संसद में विधेयक प्रस्तुत करना होता है। ऐसे विधेयको को संसद में प्रस्तुत करने से पूर्व उस पर राष्ट्रपति की सहमती आवश्यक है।

  • परन्तु जम्मू-कश्मीर राज्य के क्षेत्र सीमा या नाम में परिवर्तन करने वाला विधेयक संसद में तभी प्रस्तुत किया जा सकता है। जब उस पर राज्य के विधानमंडल की अनुमति प्राप्त हो गई हो। संसद में प्रस्तुत किये जाने के लिए विधेयक पर राष्ट्रपति अपनी अनुमति देने से पूर्व विधेयक को सम्बंधित राज्य विधानमंडल के पास भेजते है। राज्य के विधानमंडल विधेयक पर विचार-विमर्श करके अपने सुझाओ सहित विधेयक वापस संसद को भेज देते है। राष्ट्रपति द्वारा विचार-विमर्श की अवधी को बढ़ाया भी जा सकता है। सुझाओ को मानने के लिए संसद बाध्य नहीं है। संसद द्वारा विधेयक पारित करने के बाद राष्ट्रपति उस पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर उसे अधिनियम के रूप में परिवर्तित करते है।

  • इस सम्बन्ध में एक विशिष्ट तथ्य यह है की संसद अपनी इस शक्ति के अंतर्गत किसी भारतीय भू-भाग को किसी विदेशी राज्य को देने का अधिकार नहीं रखती। संदर्भित अधिकार के सम्बन्ध में राय मांगे जाने पर (अनुच्छेद – 143 के अंतर्गत) सर्वोच्च न्यायालय ने परामर्श दिया था की संविधान संशोधन के बिना कोई राज्य क्षेत्र दूसरे देश को नहीं सौपा जा सकता है।

(अनुच्छेद – 143 : उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति)

अनुच्छेद – 4

  1. अनुच्छेद – 4 में इस बात को स्पष्ट कर दिया गया है की अनुच्छेद – 2 और अनुच्छेद – 3 के अधीन नये राज्यों की स्थापना या उनके प्रवेश और विद्यमान राज्यों के नामो, क्षेत्रो और उनकी सीमाओं आदि में परिवर्तन के लिए बनाई गई विधियाँ अनुच्छेद – 368 के अधीन संविधान के संशोधन नहीं मानी जायगी, अर्थात इन्हें बिना किसी विशेष प्रक्रिया के तथा किसी अन्य साधारण विधान की तरह साधारण बहुमत द्वारा पारित किया जा सकता है।

(अनुच्छेद – 368 : संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसके लिए प्रक्रिया)

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