केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख
- K.K. Lohani
- Oct 13, 2020
- 3 min read
Updated: Mar 18, 2021

केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख

31 अक्टूबर, 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत दो नए केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में अस्तित्व में आया।
31 अक्टूबर इसलिए भी खास है क्योंकि 1875 में गुजरात के नाडियाड में सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म हुआ था।
केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सीमा दो राज्यों (पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश) तथा एक केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख से लगती है।
केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख की सीमा एक राज्य (हिमाचल प्रदेश) तथा एक केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से लगती है।
केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एक मात्र देश पाकिस्तान से अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करती हैै।
केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह है जो भारत का सबसे बड़ा जिला भी है।
‘लेह’ भारत का न्यूनतम वर्षा वाला क्षेत्र है। (सर्वाधिक वर्षा – मासिनराम (मेघालय))
जम्मू-कश्मीर को विधानसभा के साथ केन्द्रशासित प्रदेश बनाया गया है।
केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर विधान सभा में कुल 114 सीटें होगी, जिसमें से 24 सीटें पाक-अधिकृत कश्मीर (POK) के लिए रिक्त रहेंगी और 90 सीटों पर चुनाव होंगे।
लद्दाख में विधान सभा नहीं होगी, एक उप-राज्यपाल होगा, जो शासन चलाएगा।
केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले उप-राज्यपाल गिरिश चंद्र मुर्मू तथा लद्दाख के पहले उप-राज्यपाल राधा कृष्ण माथूर है।
वर्तमान में क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख बन गया है
केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख के लिए लोक सभा की एक सीट निर्धारित की गई है।
वर्तमान में केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कुल 22 तथा लद्दाख में 2 जिले है।
नये मानचित्र में पाक अधिकृत कश्मीर (POK) को लद्दाख में तथा POK के दो जिले मीरपुर तथा मुजफ्फराबाद को जम्मू—कश्मीर में शामिल किया गया हैै।
लद्दाख के दो जिले लेह और कारगिल है।
केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा जिला किश्तवाड़ है।
जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के केन्द्रशासित प्रदेश बनने के बाद सरकार ने 2 नवम्बर, 2019 को नया मानचित्र जारी किया।
केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख तीन देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा चीन) के साथ अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करती है।
जम्मू-कश्मीर में स्थित देश की सबसे लंबी सुरंग चिनैनी-नाशरी सुरंग का नाम बदलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुरंग कर दिया गया है। यह सुरंग जम्मू-कश्मीर के राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH-44) पर है जिसकी लम्बाई 9.28 किलोमीटर है।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुरंग जम्मू और उद्यमपुर को रामबन, बनीहाल और श्रीनगर से जोड़ती है।
लद्दाख साहित्य उत्सव की शुरूआत 29 से 31 अक्टूबर, 2019 किया गया जिसे अब हर साल मनाया जाएगा।
कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु लद्दाख में अवस्थित है जिसकी चैड़ाई 4.5 मीटर है। यह श्योक नदी पर बना है। जिसे बाॅडर रोड ऑरगेनाइजेशन (BRO) ने बनाया है।
प्रौद्योगिकी कलाम केन्द्र जम्मुकश्मीर में बनाया जाएगा। जिसे डीआरडीओ (DRDO) बनाएगी।
कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिनी ‘कश्मीर के इतिहास’ पर आधारित पुस्तक है।
ई॰पू॰ तीसरी शताब्दी में महान सम्राट अशोक ने कश्मीर में बौद्ध धर्म का प्रचार किया था। बाद में यहाँ कनिष्क का अधिकार रहा।
कनिष्क के समय श्रीनगर के कुंडल वन विहार में प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान वसुमित्र की अध्यक्षता में सर्वस्तिवाद परम्परा की चौथी बौद्ध महासंगीति का आयोजन किया था।
1947 में जम्मू और कश्मीर पर डोगरा शासकों का शासन रहा।
महाराजा हरिसिंह ने 26 अक्टुबर, 1947 को भारतीय संघ में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया।
राज्य के रूप में जम्मू-कश्मीर की स्थापना 26 अक्टूबर, 1947 को हुई थी।
17 अक्टूबर, 1949 को जम्मू-कश्मीर राज्य में अनुच्छेद-370 लागू हुआ था।
संविधान के भाग-21 में वर्णित अनुच्छेद-370 का संबंध जम्मूू-कश्मीर को विशेष दर्जा से था।
वर्तमान में विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों की कुल संख्या 11 (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) है।
5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हुआ।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 का खंड-1 नहीं हटाया गया है।
जम्मू-कश्मीर में धारा-35A को 14 मई, 1954 को लागू किया गया था।
जम्मू-कश्मीर का संविधान 26 जनवरी, 1957 को लागू हुआ था।
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