Delhi
- K.K. Lohani
- Oct 31, 2020
- 6 min read
Updated: Mar 18, 2021

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
भारत का दिल दिल्ली को कहा जाता है।
दिल्ली उत्तर पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफ से हरियाणा राज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरा हुआ है।
हिंडन नदी पूर्वी दिल्ली को गाजियाबाद से अलग करती है।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली में 1200 इमारतों को ऐतिहासिक महत्त्व का तथा 175 को राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्मारक घोषित किया है।
दिल्ली विश्वविघालय की स्थापना 1922 ई॰ में की गई जिसका पुनः संगठन 1952 ई॰ में किया गया।
दिल्ली मैट्रो की शुरूआत 25 दिसम्बर, 2002 को शहादरा तीस हजारी लाईन से हुई। सभी ट्रेनों का निर्माण दक्षिण कोरिया की कंपनी रोटेम (ROTEM) द्वारा किया गया है।
1 नवम्बर, 1956 को दिल्ली को संघशासित क्षेत्र घोषित किया गया तथा इस प्रदेश की जनता को विकास कार्यों में अधिक हाथ बटाने का अवसर सुलभ कराने हेतु संसद में दिल्ली एक्ट, 1966 पास किया गया, जिसके अधीन एक महानगर परिषद् की व्यवस्था की गई, इस परिषद् में कुल 61 सदस्य थे जिनमें 5 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
संविधान के 64वें संशोधन (1991) द्वारा यहाँ विधानसभा का गठन किया गया तथा केन्द्रशासित प्रदेशों में विशेष दर्जा दिया गया।
1 फरवरी, 1992 से इसे नया नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली दिया गया।
यमुना तट पर अवस्थित यह नगर वर्तमान फिरोजशाह केटला एवं हूमायूँ के मकबरे के बीच अवस्थित था।
दिल्ली मेट्रो रेल परियोजना का विकास तीन भागों में हुआ है, पहला चरण — शाहदरा – तीस हजारी – रियाल तक, दूसरा चरण — विश्वविघालय से केन्द्रीय सचिवालय तक, तीसरा — इन्द्रप्रस्थ से बारहखम्बा होती हुई द्वारिका तक।
दिल्ली देश का पहला कैरोसिन मुक्त राज्य है।
दिल्ली का सबसे ऊँचा स्थान भाटी गांव है जिसकी ऊँचाई समुद्रतल से 322 मीटर है।
दक्षिण में महरौली और तुगलकाबाद के पास का क्षेत्र कोही या पहाड़ी कहलाता है।
यमुना के किनारे का मैदान वांगर के नाम से जाना जाता है।
दिल्ली पुलिस का नया लोगों — ‘शांति, सेवा, न्याय’ है।
दिल्ली से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
महाभारत काल में दिल्ली का नाम इन्द्रप्रस्थ था।
सन् 1911 में कलकत्ता की जगह दिल्ली को ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाई गई।
1947 मे स्वतंत्रता के बाद दिल्ली को भारत की राजधानी के रूप में स्वीकार किया गया।
तराईन के द्वितीय युद्ध 1192 में पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद 1193 में मुहम्मद गोरी के एक गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा दिल्ली पर अधिकार कर लिया गया।
महाराज पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंदबरदाई की हिन्दी रचना पृथ्वीराज रासो में तोमर राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है।
महाराजा पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली का अंतिम हिन्दू सम्राट माना जाता है।
दिल्ली का आखिरी मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर था जिसकी मृत्यु निर्वासन में ही रंगून में हुई।
तोमर शासकों में दिल्ली की स्थापना का श्रेय अनंगपाल को जाता है।
दिल्ली का दिल्लिका शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम उदयपुर में प्राप्त शिलालेखों पर पाया गया। इस शिलालेख का समय वर्ष 1170 निर्धारित किया गया।
1206 में मुहम्मद गोरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने खुद को दिल्ली का सुल्तान घोषित किया।
1210 में पोलो खेलते समय घोड़े से गिर कर ऐबक की मृत्यु हो गई। इसके बाद उसका दामाद इल्तुतमिश दिल्ली का सुल्तान बना।
दिल्ली के प्रसिद्ध कुतुबुमीनार की नींव 1199 में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा डाली गई थी।
कुतुबमीनार को सूफी संत कुतुबद्दीन बख्तियार काकी की स्मृति में बनवाया गया था।
कुतुबमीनार की ऊँचाई 234 फुट है जिसमें 379 सीढि़याँ हैं। पृथ्वी पर उसका व्यास 47 फुट है जो ऊपर जाकर केवल 9 फुट रह जाता है।
तुगलकवंश को तृतीय बादशाह फिरोह शाह तुगलक द्वारा 1354 में फिरोजाबाद नाम से एक नया राजधानी नगर बसाया गया। इस नगर को आज फिरोजशाह कोटला के नाम से जाना जाता है।
मुगल सम्राट अकबर राजधानी को दिल्ली से उठाकर आगरा ले गया।
शाहजहाँ ने पुनः दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया। आज जो स्थल पुरानी दिल्ली के नाम से प्रसिद्ध है उस नगर का निर्माण शाहजहाँ ने ही करवाया था।
चाँदनी चौक का बाजार शाहजहाँ की लड़की जहाँआरा बेगम ने बनवाया था।
लालकिला 1648 ई॰ में बनकर तैयार हुआ जिनकी नींव 1639 ई॰ में रखी गयी थी। इस पर नौ करोड़ रुपये खर्च हुये थे।
लालकिला और जामा मस्जिद के बाद मुगल युग की सर्वोत्तम इमारत ‘हुमायूँ मकबरे’ का निर्माण 1565 ई॰ में हुआ था।
अंगेजों द्वारा पहले भारत की राजधानी कलकत्ता (कोलकाता) बनाई गयी, परंतु 1911 में सम्राट जॉर्ज पंचम द्वारा दिल्ली को राजधानी बनाने का निश्चय किया गया।
नई दिल्ली की नगर योजना एडविन ल्यूटेन्स तथा बेकर द्वारा तैयार की गई थी। नई दिल्ली की नगर योजना वाशिंगटन तथा लंदन नगरों के योजना से काफी मिलता जुलता है।
दिल्ली का विधिवत शासन की शुरूआत अंग्रेजों द्वारा 1805 से शुरू की गई।
दिल्ली में ही 23 दिसम्बर, 1912 को लार्ड हार्डिंग पर बम फेका गया था। इस केस के मास्टर अमीरचन्द्र, अवध बिहारी, बंसत कुमार तथा भाई लाल मुकुन्द को फाँसी हुई थी।
अंग्रेज सरकार ने 1877, 1903 तथा 1911 ई॰ में कुल तीन बार दिल्ली में विशाल दरवार का आयोजन किया था।
पहला दिल्ली दरबार लॉर्ड लिटन के समय में हुआ था जिसमें महारानी विक्टोरिया को भारत की सम्राज्ञी घोषित किया गया।
दूसरा दिल्ली दरबार लॉर्ड कर्जन द्वारा 1903 ई॰ में आयोजित किया गया, जिसमें बादशाह एडवर्ड सप्तम की ताजपोशी की घोषणा की गई।
तीसरा दरबार लॉर्ड हार्डिंग के समय 1911 ई॰ में हुआ था। बादशाह जार्ज पंचम और उनकी महारानी इस अवसर पर मौजूद थे।
राजधानी का कलकत्ता से दिल्ली स्थानान्तरित होने के बाद यहाँ के प्रशासनिक कार्यों की देख-रेख के लिए इम्पीरियल दिल्ली समिति का गठन किया गया।
1916 में इस समिति को पंजाब म्यूनिसिपल एक्ट 1911 के तहत रायसीना म्युनिसिपल समिति के रूप में अधिसूचित किया गया। 16 मार्च 1927 को इसे दिल्ली म्यूनिसिपल समिति के रूप में पुनर्गठित किया गया।
दिल्ली के लाल किले में बहादुरशाह जफर द्वितीय और सुभाषचन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज के सैनिकों के सुप्रसिद्ध राजनैतिक मुकदमे चले थे।
नई दिल्ली में स्थित जंतर—मंतर यंत्र मंदिर है जिसे जयपुर के राजा सवाई जयसिंह ने 1724 में बनवाया था।
नई दिल्ली में 18 मार्च, 1939 को महात्मा गांधी ने लक्ष्मी नारायण मंदिर का उद्घाटन किया था जिसका निर्माण बलदेव दास बिरला ने करवाया था।
दिल्ली के प्रमुख इमारत, भवन एवं मंदिर
राष्ट्रपति भवन
इसका निर्माण 1912 ई॰ से 1929 ई॰ के बीच हुआ था।
इसके वास्तुकार एडविन लूट्यंस थे।
यह रायसिना की पहाड़ी बना हुआ है।
संसद भवन
इस भवन का निर्माण 1921 ई॰ से 1927 ई॰ के बीच किया गया था। जिसके वास्तुकार एडविन लूट्यंस और हर्बर्ट बेकर थे।
इंडिया गेट
वास्तुकार — एडवर्ड ल्युट्यंस
यह इमारत पेरिस के आर्क डे ट्रॉयम्फ से प्रेरित है।
इसका निर्माण प्रथम विश्वयुद्ध और अफगान युद्ध में मारे गए 90000 भारतीय सैनिकों की याद में कराया गया था।
इसकी नींव 1921 र्ईं में ड्यूक ऑफ कर्नाट ने रखी थी और इसे कुछ साल बाद तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इर्विन ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
यहाँ अमर जवान ज्योति की स्थापना 1971 ई॰ के भारत-पाक युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों की याद में की गयी थी।
लाल किला
इसका निर्माण मई 1639 ई॰ से अप्रैल 1648 ई॰ के बीच हुआ।
इसके वास्तुकार उस्ताद अहमद लोहौरी थे।
लाल किले की नींव शाहजहाँ के शासन के रखी थी।
अधिकांश इस्लामिक इमारतों की तरह यह किला भी अष्टभुजाकार है।
किले का मुख्य आकर्षण केन्द्र मुमताज महल, रंग महल, खास महल, दीवान-ए-आम, हमाम और शाह बूर्ज है।
जंतर-मंतर
इसका निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह ने 1724 ई॰ में करवाया था।
महाराजा जय सिंह ने ऐसी वेधशालाओं का निर्माण जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में करवाये थे।
दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद की वेधशाला से प्रेरित है।
कुतुबमीनार
कुतुबमीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन एबक ने 1199 ई॰ में शुरू करवाया था जिसे इलतुतमिश ने 1368 ई॰ में इसे पूरा कराया।
इसका नाम ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया।
यह मूल रूप से सात मंजिलों का इमारत था पर अब यह पाँच मंजिल का ही रह गया है।
कुतुबमीनार की ऊचाई 72.5 मीटर है। जिसे 379 सीढि़याँ है।
लक्ष्मीनारायण मंदिर या बिड़ला मंदिर
निर्माण — 1938 में
उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया।
जन्माष्टमी त्योहार को मनाए जाने को लेकर प्रसिद्ध है।
यह मंदिर उड़ियन शैली में निर्मित है।
छतरपुर मंदिर
यह मंदिर गुड़गाँव-महरौली रोड पर स्थित है।
दक्षिण भारतीय शैली में बना यह मंदिर मूल रूप से यह मंदिर माँ दुर्गा को समर्पित है।
बहाई मंदिर/लोटस टेम्पल
इसे लोटस टेम्पल या कमल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
यह मंदिर एशिया महाद्वीप में बना एकमात्र बहाई प्रार्थना केन्द्र है।
26 एकड़ में फैले इस मंदिर का निर्माण 1980 से 1986 ई॰ के बीच हुआ था।
इसका डिजाइन फरीबर्ज सभा ने बनाया था।
कमल भारत की सर्वधर्म समभाव की संस्कृति को दर्शाता है।
जामा मस्जिद
लाल किले से महज 500 मी॰ की दूरी पर जामा मस्जिद स्थित है जो भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है।
इसका निर्माण 1650 में शाहजहाँ ने शुरू करवाया था
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद
इसका निर्माण गुलाम वंश के प्रथम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1192 ई. में शुरू करवाया था। लेकिन बाद के शासकों ने भी इसका विस्तार किया। अल्तमश ने 1230 ई॰ में और अलाउद्दीन खिलजी ने 1351 ई॰ में इसमें कुछ हिस्से जोड़े।
इसकी छत और स्तंभ में भारतीय मंदिर शैली की झलक दिखलती है वहीं इसके बुर्ज इस्लामिक शैली में बने हुए है।
फतेहपुर सिकरी
इसका निर्माण मुगल बादशाह शाजहाँ की पत्नी फतेहपुरी बेगम ने 1650 ई॰ में करवाया था।
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