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Indian Coin History | भारतीय सिक्कों का इतिहास

  • Writer: K.K. Lohani
    K.K. Lohani
  • May 14, 2020
  • 3 min read

Updated: Mar 14, 2021


भारतीय सिक्कों का इतिहास (Indian Coin History)

  • सिक्कों के अध्ययन को न्यूमिसमेटिक्स (मुद्राशास्त्र) कहा जाता है।

  • यघपि भारत में सिक्कों की प्राप्ति आठवी शताब्दी ई॰पू॰ से ही मिलती है।

  • प्राचीनतम सिक्कों को ‘आहत’ अथवा ‘पंचमार्क’ सिक्के कहा जाता है। साहित्यिक ग्रंथों में इन्हें कार्षापण, पुराण, धरण, शतमान आदि नामों से भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से चाँदी का होता था।

  • सर्वप्रथम सिक्कों पर लेख लिखने का कार्य यवन शासकों ने किया।

  • सिक्के पर लेख लिखवाने की परम्परा की शुरूआत हिन्द यूनानी शासकों के द्वारा किया गया। यह लेखे खरोष्ठी लिपी में होता था।

  • कुषाण शासकों ने रोम शासकों की नकल पर शुद्ध स्वर्ण के सिक्के चलवाये।

  • कुषाणों ने ही सर्वाधिक ताँबे के सिक्के भी जारी किये।

  • कुषाण शासक विम—कडफिसस के सिक्कों पर बैल के पार्श्व मे खड़े शिव की आकृति अंकित है।

  • समुद्रगुप्त के सिक्कों पर उसे वीणा बजाते हुए दर्शाया गया है।

  • समुद्रगुप्त तथा कुमार गुप्त की मुद्राओं से उसके अश्वमेघ यज्ञ की सूचना मिलती है।

  • सातवाहन नरेश यज्ञश्री सातकर्णी की मुद्रा पर जलयान का चित्र अंकित है। जिससे उसकी समुद्र विजय तथा व्यापारिक उपलब्धियों का पता चलता है।

  • कनिष्क के सिक्कों से उसके बौद्ध धर्म में आस्था का पता चलता है।

  • चन्द्रगुुप्त की व्याघ्र शैली की मुद्राओं से उसकी काठियावाड़ के शकों पर विजय की सूचना मिलती है।

  • अरिकमेडु (पुदुचेरी के निकट) से रोमन सिक्के प्राप्त हुए है।

  • महासंधान ताम्रपत्र अभिलेख में ‘काकीणी’ नामक सिक्के का उल्लेख है।

  • दामोदरपुर एवं पहाड़पुर अभिलेख में ‘परथ’ नामक सिक्के का उल्लेख है।

  • मनुस्मृति में ‘निष्क’ नामक सोने के सिक्के का उल्लेख है।

  • ‘मानसोल्लास’ में गुप्त तथा गुप्तोत्तरकालीन सिक्कों की सूची दी गई है।

  • भास्कराचार्य के ‘लीलावती’ में जहाँ एक ओर बीजगणित की उत्पत्ति का प्रमाण मिलता है। वहीं दूसरी ओर इसमें विभिन्न राजवंशों के सिक्कों की सूची भी दी गई है।

  • उत्तर भारत में सोने का सिक्का सबसे पहले हिन्द यूनानी शासकों के द्वारा जारी किया गया।

  • उत्तर भारत में सबसे ज्यादा सोने का सिक्का गुप्त शासकों के द्वारा जारी किया गया।

  • दक्षिण भारत में सबसे पहले सोने का सिक्का कदम्ब शासकों के द्वारा जारी किया गया।

  • दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा सोने का सिक्का चोल शासकों द्वारा जारी किया गया।

सिक्के पर अंकित राज्य चिह्न

  • ताँबे के आहत सिक्का का क्षेत्र ‘मध्य गंगा’ घाटी क्षेत्र था। इसका काल 550 ई॰पू है। इन सिक्कों पर मछली, आधा चाँद, वृक्ष, हाथी एवं पहाड़ के चित्र अंकित थे।

  • मौर्यकालिन चाँदी के सिक्को को ‘पण’ के नाम से जाना जाता है। यह चाँदी का होता था। 3/4 तोला चाँदी = 1 पण।

  • मौर्यकाल मे ताँबे के सिक्को को ‘मासक’ एवं ‘अर्द्धमासक’ कहा गया है।

  • कौटिल्य के अर्थशास्त्र में ‘रूपदर्शक’ एवं ‘लक्ष्णाध्यक्ष’ नामक अधिकारी की चर्चा है।

  • रूपदर्शक सिक्कों की शुद्धता की जाँच करता था जबकि लक्ष्णाध्यक्ष सिक्का जारी करने वाले विभाग का अध्यक्ष होता था।

  • सिकंदर कालीन सिक्कों को ‘डेरी’ एवं ‘सिगोली’ के नाम से जाना जाता था।

  • डेरियस के सिक्के को टेलेंट कहकर संबोधित किया गया था।

  • कुषाणों के द्वारा जारी किये गए सोने के सिक्के सर्वाधिक शुद्ध थे। इनके सिक्के पर शिव, नंदी तथा त्रिशुल के चित्र अंकित है।

  • कुषाण शासक हुविष्क के सिक्के पर बुद्ध, शिव एवं उमा के चित्र है।

  • कुषाण शासक वासुदेव के सिक्के पर शिव की आकृति है।

  • कुषाण पहले राजा थे जिन्होंने अपने सिक्कों पर राजा का चित्र अंकित करवाया।

  • कनिष्क के सिक्के पर उसे कोट पजामा में दिखाया गया है।

  • सातवाहनों के शासनकाल में उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत से विदेशी आक्रमण होने लगे परिणामस्वरूप चाँदी की उपलब्धता घट गई, यही कारण था कि सातवाहनों ने शीशे के सिक्के जारी किए।

  • पुरे प्राचीन भारत में सातवाहन एवं इच्छवाकु दो ऐसे वंश थे जिन्होंने ‘शीशे’ का सिक्का जारी किया।

  • सातवाहन कालीन सिक्का को ‘अपम’ के ने नाम से जाना जाता है।

  • गुप्तकाल में सबसे पहले सोने का सिक्का चन्द्रगुप्त प्रथम के द्वारा जारी किया गया।

  • चन्द्रगुप्त प्रथम के द्वारा जारी किए गये सोने के सिक्के को ‘विवाह प्रकार का सिक्का’ कहा जाता था। क्योंकि उसके सिक्के पर चन्द्रगुप्त को ‘कुमारदेवी’ को अंगुठी पहनाते हुए दिखाया गया है।

  • समुद्रगुप्त ने चीता, वीणा, अश्वमेघ प्रकार के सिक्के जारी किये।

  • समुद्रगुप्त को उसके सिक्के पर चीता से लड़ते हुए, वीणा बजाते हुए तथा अश्वमेघ यज्ञ करते हुए दिखाया गया है।

  • चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने शकों को पराजित करने के पश्चात अपनी पत्नी ध्रुवदेवी के साथ चाँदी का सिक्का जारी किया जिसको ‘रूपक’ के नाम से जाना जाता है।

  • गुप्तकालीन सोने के सिक्के को ‘दिनार’ एवं ‘परथ’ जबकि चाँदी के सिक्के को ‘रूपक’ के नाम से जाना जाता है।

  • चालुक्यों के सोने के सिक्के का नाम ‘वाराह’ था।

  • तमिल साहित्य में सोने के सिक्के के लिए ‘फनम’ शब्द का प्रयोग हुआ है।

  • चोलकाल का सबसे महत्वपूर्ण सिक्का ‘क्लंजू’ था।

विभिन्न धातुओं के सिक्कों के नाम

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