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राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020

  • Writer: K.K. Lohani
    K.K. Lohani
  • Aug 8, 2020
  • 4 min read

Updated: Mar 8, 2021



राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020

  • 29 जुलाई, 2020 को MHRD (Ministry of Human Resource Development) मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने नई शिक्षा नीति 2020 का ड्राफ्ट पेश किया।

  • नयी शिक्षा नीति-2020 की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) कर दिया गया है।

  • वर्तमान में अब नए शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ है।

  • आजादी के बाद भारत की यह तीसरी शिक्षा नीति हैं। (पहला-1968, दूसरा-1986, तीसरा-2020)

  • नयी शिक्षा नीति के निर्माण के लिए जून 2017 में डाॅ॰ के॰ कस्तूरीरंगन (पूर्व इसरो प्रमुख) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था।

  • डाॅ॰ के॰ कस्तूरीरंगन अध्यक्षता वाली समिति द्वारा 31 मई, 2019 को ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का मसौदा प्रस्तुत किया था।

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020, 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-1986 का स्थान लेगी।

  • इस नई शिक्षा नीति का लक्ष्य ‘भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति’ बनाना है।

  • नई शिक्षा नीति-2020 के तहत 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाया जाएगा।

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंदर 3 साल से 18 साल तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर रखा गया है।

  • नई शिक्षा नीति के तहत वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक माॅडल के स्थान पर 5+3+3+4 माॅडल को को लागू किया जायेगा।

  • प्रारंभिक शिक्षा में 3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों का पाठ्यक्रम दो भागों में विभाजित होगी।

  • 3 वर्ष से 6 की आयु के बच्चों के लिए आंगनबाड़ी/बालवाटिका/ प्री-स्कूल के माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण ‘‘प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा’’ (Early Childhood Care and Education-ECCE) की उपलब्धता सुनिश्चि करना।

  • 6 से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा-1 और 2 में शिक्षा प्रदान की जाएगी।

  • प्रारंभिक शिक्षा को बहुस्तरीय खेल और गतिविधि आधारित बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी।

  • ‘‘प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा’’ (ECCE) से जुड़ी योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय व जनजातीय कार्य मंत्रालय के सम्मिलित सहयोग से किया जाएगा।

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही कक्षा-8 तथा आगे की शिक्षा में भी प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।

  • बधिर छात्रों के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा ‘‘भारतीय संकेत भाषा’’ (Indian Sign Language – ISL) को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा।

  • नई शिक्षा नीति-2020 में भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिए एक ‘‘भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान’’, फारसी, पाली और प्राकृत के लिए ‘‘राष्ट्रीय संस्थान’’ स्थापित करने का सुझाव दिया गया है।

  • इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यवसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येत्तर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।

  • कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल किया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप (Internship) की व्यवस्था भी की जाएगी।

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में छात्रों को सीखने की प्रगति की बेहतर जानकारी हेतु नियमित और रचनात्मक आकलन प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही इसमें विश्लेषण तथा तार्किक क्षमता एवं सैद्धांतिक स्पष्टता के आकलन को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।

  • कक्षा-3, 5 एवं 8 के स्तर पर छात्र स्कूली परीक्षाओं में भाग लेंगे जिन्हें उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जाएगा।

  • कक्षा-10 और 12 की परीक्षाओं में बदलाव किये जाएंगे। इसमें भविष्य में सेमेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।

  • छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिए मानक निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख’(PARAKH) नामक एक नए ‘‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र’’(National Assessment Centre) की स्थापना की जाएगी।

  • छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन तथा छात्रों को अपने भविष्य से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने के लिए AI (Artificial Intelligence) आधारित साॅफ्टवेयर का प्रयोग।

  • राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् वर्ष 2022 तक शिक्षकों के लिए ‘‘राष्ट्रीय व्यावसायिक मानव’’ (NPST – National Professional Standards for Teacher) का विकास किया जाएगा।

  • राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर ‘‘अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’’ (NCFTE – National Curriculum Framework for Teacher Education, 2021) का विकास किया जाएगा।

  • उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘‘सकल नामांकन अनुपात’’ (Gross Enrolment Ratio) को 26.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटो को जोड़ा जाएगा।

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में छात्र 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे। जैसे – 1 वर्ष के बाद सर्टिफिकेट, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक

  • विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटली सुरक्षित रखने के लिए एक ‘एकेडमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट’ (Academic Bank of Credit) दिया जाएगा, जिससे अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सके।

  • नई शिक्षा नीति में एम॰ फिल॰ (M.Phil) कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है।

  • चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एकल निकाय के रूप में ‘‘भारत उच्च शिक्षा आयोग’’ (HECI – Higher Education Commission of India) का गठन किया जाएगा।

  • देश में आईआईटी (IIT) और आईआईएम (IIM) के समकक्ष वैश्विक मानकों के बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (MERU – Multidisciplinary Education and Research Universities) की स्थापना की जाएगी।

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