नोबेल पुरस्कार से सम्मानित 10 भारतीय
- K.K. Lohani
- Dec 26, 2019
- 5 min read
Updated: Mar 20, 2021

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित 10 भारतीय
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित 10 भारतीय एवं भारतीय मूल के नागरिक जिन्होंने देश का मान बढ़ाया।
भारतीय नागरिकता के साथ
रवीन्द्रनाथ टैगौर

टैगोर अंग्रेजी कवि के रूप में भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता थे। 1913 ईस्वी में गीतांजलि के लिए इन्हें साहित्य का नोबल पुरस्कार मिला जो कि एशिया में प्रथम विजेता साहित्य में है। इनकी प्रमुख रचनाओं में गीतांजलि, गोरा, घरे बाइरे, जन गण मन, रबीन्द्र संगीत, आमार सोनार बांग्ला, नौका डूबी, महुआ, वनवाणी, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबाली, कणिका, नैवेद्य मायेर खेला और क्षणिका आदि शामिल हैं। सन् 1915 में उन्हें राजा जॉर्ज पंचम ने नाइटहुड की पदवी से सम्मानित किया जिसे उन्होंने सन् 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में वापस कर दिया था।
चन्द्रशेखर वेंकटरमन (सी.वी. रमन)

भारतीय भौतिक-शास्त्री थे। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष 1930 में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। रमण प्रकीर्णन या रमण प्रभाव फोटोन कणों के लचीले वितरण के बारे में है। रमन प्रभाव के अनुसार, जब कोई एकवर्णी प्रकाश द्रवों और ठोसों से होकर गुजरता है तो उसमें आपतित प्रकाश के साथ अत्यल्प तीव्रता का कुछ अन्य वर्णों का प्रकाश देखने में आता है। 1954 ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा 1957 में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया था। 28 फरवरी 1928 को चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने रमन प्रभाव की खोज की थी जिसकी याद में 1987 से भारत में यह दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मदर टेरेसा

मदर टेरेसा का जन्म अल्बानिया में स्कोपजे नामक स्थान पर हुआ था, जो अब यूगोस्लाविया में है। उनका बचपन का नाम एग्नस गोंक्सहा बोजाक्सिऊ था। मदर टेरेसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। इन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की इन्होंने मदद की और साथ ही मिशनरीज ऑफ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। इन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। मदर टेरेसा की मृत्यु के बाद इन्हें पोप जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया और इन्हें कोलकाता की धन्य की उपाधि प्रदान की। 9 सितम्बर, 2016 को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया।
अमर्त्य सेन

अर्थशास्त्र के इस जानकार का जन्म साल 1933 में पश्चिम बंगाल में हुआ था, मगर पढ़ाई ढाका (बांग्लादेश) में की थी। उनके पिता प्रोफेसर थे. उन्होंने साल 1959 में पीएचडी की। उन्होंने देश विदेश के कई नामी विश्वविद्यालयों में पढ़ाया है। अर्थशास्त्र के लिए 1998 का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रोफेसर अमर्त्य सेन पहले एशियाई हैं। शांतिनिकेतन में जन्मे इस विद्वान अर्थशास्त्री ने लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा का प्रतिपादन किया है। उन्होंने कल्याण और विकास के विभिन्न पक्षों पर अनेक पुस्तकें तथा पर्चे लिखे हैं। प्रोफेसर सेन आम अर्थशास्त्रियों के समान नहीं हैं। वह अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ, एक मानववादी भी हैं। उन्होंने, अकाल, गरीबी, लोकतंत्र, स्त्री-पुरुष असमानता और सामाजिक मुद्दों पर जो पुस्तकें लिखी हैं, वे अपने-आप में बेजोड़ हैं। केनेथ ऐरो नाम के एक अर्थशास्त्री ने असंभाव्यता सिद्धांत नाम की अपनी खोज में कहा था कि व्यक्तियों की अलग-अलग पसंद को मिलाकर समूचे समाज के लिए किसी एक संतोषजनक पसंद का निर्धारण करना संभव नहीं है। प्रोफेसर सेन ने गणितीय आधार पर यह सिद्ध किया है कि समाज इस तरह के नतीजों के असर को करने के उपाय ढूंढ सकता है।
कैलाश सत्यार्थी

साल 2014 में कैलाश सत्यार्थी को बाल मजदूर उन्मूलन और शिक्षा में उनके अधिकार के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। साल 1954 में जन्मे सत्यार्थी ने विदिशा में बच्चों को पढ़ाया। इंजीनियरिंग करने के बाद वह शिक्षा से जुड़ गए और फिर ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के लिए टीचिंग को भी छोड़ दिया। उन्होंने छोटे बच्चों को बाल मजदूरी और बंधुआ मजदूरी से आजाद करवाया। उन्होंने बाल शोषण के खिलाफ भी आवाज बुलंद की। यूनेस्को के सदस्य सत्यार्थी सभी के लिए शिक्षा की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने साल 2015 में दुनिया के सबसे महान नेताओं की सूची में जगह बनाई।
भारतीय मूल के
हरगोविन्द खुराना

हरगोविंद खुराना एक भारतीय अमेरिकी जैव रसायनज्ञ थे। विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय, अमरीका में अनुसन्धान करते हुए, उन्हें 1968 में मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग और रॉबर्ट डब्ल्यू होली के साथ फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से मिला, उनके द्वारा न्यूक्लिक एसिड में न्यूक्लियोटाइड का क्रम खोजा गया, जिसमें कोशिका के अनुवांशिक कोड होते हैं और प्रोटीन के सेल के संश्लेषण को नियंत्रित करता है । हरगोविंद खुराना और निरेनबर्ग को उसी वर्ष कोलंबिया विश्वविद्यालय से लुइसा ग्रॉस हॉर्वित्ज पुरस्कार भी दिया गया था। ब्रिटिश भारत में पैदा हुए, हरगोविंद खुराना ने उत्तरी अमेरिका में तीन विश्वविद्यालयों के संकाय में कार्य किया। वह 1966 में संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक बन गए और 1987 में विज्ञान का राष्ट्रीय पदक प्राप्त किया। साल 2011 में उनकी मृत्यु हो गई.
सुब्रह्मण्यन चन्द्रशेखर

19 अक्टूबर, 1910 को लाहौर में जन्में सुब्रह्मण्यन् एक विख्यात भारतीय-अमेरिकी खगोलशास्त्री थे। 18 वर्ष की आयु में चंद्रशेखर का पहला शोध पत्र ‘इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स’ में प्रकाशित हुआ। भौतिक शास्त्र पर उनके अध्ययन के लिए उन्हें विलियम ए. फाउलर के साथ संयुक्त रूप से सन् 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। खगोल भौतिकी के क्षेत्र में डॉ॰ चंद्रशेखर, चंद्रशेखर सीमा यानी चंद्रशेखर लिमिट के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं। चंद्रशेखर ने पूर्णत गणितीय गणनाओं और समीकरणों के आधार पर ‘चंद्रशेखर सीमा’ का विवेचन किया था और सभी खगोल वैज्ञानिकों ने पाया कि सभी श्वेत वामन तारों का द्रव्यमान चंद्रशेखर द्वारा निर्धारित सीमा में ही सीमित रहता है।
वेंकटरमन रामकृष्णन

वेंकटरमन रामकृष्णन तमिलनाडु के कड्डालोर जिले में स्तिथ चिदंबरम में पैदा हुए थे। उनके पिता सी॰वी॰ रामकृष्णन और माता राजलक्ष्मी भी वैज्ञानिक थे। इनको 2009 के रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इन्हें यह पुरस्कार कोशिका के अंदर प्रोटीन का निर्माण करने वाले राइबोसोम की कार्यप्रणाली व संरचना के उत्कृष्ट अध्ययन के लिए दिया गया है। इनकी इस उपलब्धि से कारगर प्रतिजैविकों को विकसित करने में मदद मिलेगी। इसराइली महिला वैज्ञानिक अदा योनोथ और अमरीका के थॉमस स्टीज को भी संयुक्त रूप से इस सम्मान के लिए चुना गया।
वीएस नायपॉल

नायपाॅल का जन्म साल 1932 में त्रिनिदाद में हुआ था, मगर मूल रूप से वह भारतीय थे. बाद में वह ब्रिटेन चले गए और वहीं के नागरिक बन गए। वी.एस. नायपॉल आधुनिक युग के प्रसिद्ध अंग्रेजी साहित्यकार थे। उन्हें नूतन अंग्रेजी छन्द का गुरू कहा जाता है। इससे पहले 1971 में उन्हें बुकर प्राइज भी मिला। साल 1990 में ब्रिटेन सरकार ने उन्हें नाइटहुड दिया। 2008 में दी टाईम्स ने वी. एस. नाॅयपाल को अपनी 50 महान ब्रिटिश साहित्यकारो की सूची मे 7वाँ स्थान दिया। उन्हें 2001 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
अभिजीत विनायक बनर्जी

बनर्जी का जन्म कलकत्ता, भारत में हुआ था। उनकी माता निर्मला बनर्जी, सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज, कलकत्ता में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर थीं, और पिता दीपक बनर्जी, एक प्रोफेसर और कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख थे। बनर्जी एक प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं, जिन्हें एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से सन 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने ऐसे शोध किए जो वैश्विक गरीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में काफी सुधार करते है। वे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं। अपनी पत्नी एस्थर डफ्लो के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार जीतने वाले छठे विवाहित जोड़े हैं। अभिजीत बनर्जी की अर्थशास्त्र के कई क्षेत्रों में रुचि है जिसमें से चार अहम हैं। पहला आर्थिक विकास, दूसरा सूचना सिद्धांत, तीसरा आय वितरण का सिद्धांत और चैथा मैक्रो इकोनॉमिक्स है।
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