NCERT Class-6 History Chapter-2
- K.K. Lohani
- May 19, 2020
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Updated: Mar 19, 2021

NCERT Class – 6, History Notes
अध्याय-2
आखेट-खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक
आरंभिक मानव (आखेटक)
आरंभिक मानव जो इस उपमहाद्वीप बीस लाख साल पहले रहा करते थे। आज हम आखेटक—खाघ संग्राहक के नाम से जानते है।
आमतौर पर खाने के लिए वे जंगली जानवरों का शिकार करते थे। मछलियाँ और चिड़िया पकड़ते थे, फल—फूल, दाने, पौधे—पत्तियाँ, अंडे इकट्ठा किया करते थे।
आखेटक—खाघ संग्राहक समुदाय के लोग अपने भोजन की तलाश में जैसे — मौसमी फल—फूल, पानी, जानवरों के शिकार के लिए इधर—उधर जाया करते थे।
आखेटक खाघ—संग्राहक फल—फूल काटने, हड्डियों और मांस काटने तथा पेड़ों की छाल और जानवरों की खाल उतारने के लिए पत्थरों, लकड़ियों और हड्डियों के औजार बनाते थे।
लकड़ियों का उपयोग ईंधन के साथ—साथ झोपड़ियाँ और औजार बनाने के लिए भी किया जाता था।
पुरापाषाणिक पुरास्थल भीमबेटका (आधुनिक मध्य प्रदेश), हुँस्गी, कुरनूल गुफाओं से आखेटक—खाघ संग्राहकों के होने के प्रमाण मिले है। इसके अलावा भी और कई स्थानों पर आखेटक—खाघ संग्राहक रहते थे। कई पुरास्थल नदियों और झीलों के किनारे पाए गए है।
इन गुफाओं में उन्हें बारिश, धुप, हवाओं और जंगली जानवरों से सुरक्षा हो जाती थी। ये गुफाएँ नर्मदा घाटी के पास है।
पुरास्थल : पुरास्थल उन स्थान को कहते हैै जहाँ औजार, बर्तन और इमारतो जैसी वस्तुओं के अवशेष मिलते है ये अवशेष जमीन के ऊपर, अंदर, कभी—कभी समुद्र और नदी के तल में भी पाए जाते है।
कुरनूल की गुफा से राख के अवशेष मिले है जिससे पता चलाता है कि आरंभिक लोग आग जलाना सिख गए थे। आग का इस्तेमाल मांस पकाने, गुफाओं में प्रकाश करने तथा जंगली जानवरों को दूर भगाने के लिए करते होंगे।
‘पुरातत्वविद’ आरंभिक मानव के काल को पुरापाषाण काल कहते है। यह दो शब्दों पुरा यानी ‘प्राचीन’ और पाषाण यानी ‘पत्थर” से बना है।
पुरापाषाण काल बीस लाख साल पहले से 12000 साल पहले के दौरान माना जाता है।
पुरापाषाण काल को तीन भागों में बाँटा गया है — आरंभिक, मध्य एवं उत्तर पुरापाषाण युग। मानव इतिहास की लगभग 99 पतिशत कहानी इसी काल के दौरान घटित हुई।
जिस काल में हमें पर्यावरणीय बदलाव मिलते है। उसे ‘मेथोलिक’ यानि मध्यपाषाण युग कहते है। इसका समय लगभग 12000 साल पहले से लेकर 10000 साल पहले तक माना गया है।
‘माइक्रोलिथ’ यानी लघुपाषाण काल, इस काल के औजार आमतौर पर बहुत छोटे होते थे। प्रायः इन औजारों में हड्डियों या लकडि़यों के मुट्ठे लगे हँसिया और आरी जैसे औजार मिलते थे।
नवपाषाण काल — इस युग की शुरूआत लगभग 10000 साल पहले से होती है।
लगभग 12000 साल पहले दुनिया की जलवायु में बड़े बदलाव आए और गर्मी बढ़ने लगी। इसके परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में घास वाले मैदान बनने लगे। इससे घास खाने वाले जानवरों जैसे — हिरण, बारहसिंघा, भेड़, बकरी और गाय जैसे जानवरों की संख्या बढ़ने लगी जो घास खाकर जिन्दा रह सकते है। जो लोग पहले इन जानवरों का शिकार करते थे बाद में वे इनके प्रजनन और खाने—पीने की जानकारी हासिल कर उन्हे पालने पर विचार करने लगे।
इसी दौरान उपमहाद्वीप के अलग—अलग क्षेत्रों में गेहूँ, जौ और धान जैसे अनाज प्राकृतिक रूप से उगने लगे। आदि मानवों ने इन फसलों को उपजाने और फसल के तैयार होने के बारे में भी जानकारी हासिल की होगी और इस प्रकार धीरे—धीरे वे कृषक बन गए होंगे।
सबसे पहले जिस जंगली जानवर को पालतू बनाया गया वह कुत्ते का जंगली पूर्वज था। इस प्रकार कुत्ता पहला पालतु जानवर था।
कृषि और पशुपालन की वजह से मानव अब एक ही जगह बसने लगे। आज हम जो भोजन करते है वो सभी बसने की प्रक्रिया की वजह से है।
कृषि के लिए अपनाई गई सबसे प्राचीन फसलों में गेहूँ और जौ आते है, उसी तरह सबसे पहले पालतू बनाए गए जानवरों में कुत्ते के बाद भेड़—बकरी आते है।
बुर्जहोम (वर्तमान कश्मीर में) के लोग गड्ढ़े के नीचे घर बनाते थे जिन्हें गर्तावास कहा जाता है। इनमें उतरने के लिए सीढि़या होती थी।
मेहरगढ़ — यह ईरान जाने वाले सबसे महत्त्वपूर्ण रास्ते, बोलन दर्रे के पास एक हराभरा समतल स्थान है।
मेहरगढ़ संभवतः वह स्थान है, जहाँ के स्त्री—पुरुषो ने इस इलाके में सबसे पहले जौ, गेहूँ उगाना और भेड़—बकरी पालना सीखा।
मेहरगढ़ में चौकोर तथा आयताकार घरों के अवशेष मिले है। जिसमें चार या उससे ज्यादा कमरे है जिसमें से कुछ संभवतः भंडारण के काम आते होंगे।
मेहरगढ़ में मृत्यु के बाद मृतकों से सम्बंधित उनके प्रिय वस्तुओं को उनके कब्रो में रखे जाते थे। मेहरगढ़ में ऐसी कई कब्रे मिली है। एक कब्र में एक मृतक के साथ एक बकरी को दफनाया गया था।
नवपाषाण युग के प्रसिद्ध पुरास्थलों में एक ‘चताल ह्यूक’ तुर्की में है।
ओखली और मूसल का प्रयोग अनाज तथा वनस्पतियों से प्राप्त अन्य चीजों को पीसने के लिए किया जाता था।
कुछ औजार हड्डियों से भी बनाए जाते थे।
फ्रांस में गुफा चित्रकारी
इस पुरास्थल की खोज लगभग 100 साल पहले चार स्कूली छात्रों ने की थी।
इसमें बनी चित्रआकृति लगभग 20000 साल पहले से लेकर 10000 साल पहले के बीच बनाए गए होंगे।
इनमें जंगल घोड़े, गाय, भैस, गैंडा, रेनडीयर, बारहसिंघा और सुअरों को गहरे—चमकीले रंगों से चित्रित किया गया है। इन रंगों को लौह अयस्क और चारकोल जैसे खनिज पदार्थो से बनाया जाता था।
उपयोगी शब्द
आखेटक—खाघ संग्राहक : आरंभिक मानव जो इस उपमहाद्वीप पर 20 लाख साल पहले रहा करते थे उन्हें हम आज आखेटक—खाघ संग्राहक के नाम से जानते है।
पुरास्थल : पुरास्थल उन स्थानों को कहते है जहाँ से हमें आज पुराने इमारते, वस्तुएँ, औजार के अवशेष प्राप्त होते है।
उघोग स्थल : वह स्थान जहाँ लोग पत्थरों के औजार बनाते थे, उन स्थलों को उघोग—स्थल कहते है।
आवासीय स्थल : वैसी स्थाने जहाँ आरंभिक मानव लोग रहा करते थे। यहाँ उन्हें बारीश, धुप, तुफान, जंगली जानवरों आदि से राहत और सुरक्षा होती थी।
पुरापाषाण : इस काल को आखेटक एवं खाघ संग्राहक काल के रूप में जाना जाता है। पुरापाषाणकाल में आदिमानव पत्थर के अनगढ़ और अपरिष्कृत औजारों का प्रयोग करता था। ऐसे उपकरण गंगा—यमुना के कछारी भागों को छोड़कर समुचे भारत में पाये गये है।
मध्य पाषाण : मध्य पाषाणकालीन मानव शिकार करके मछली पकड़कर तथा जंगली कंद—मूल का संग्रह कर उसी से अपना पेट भरते थे। इस युग के औजार छोटे पत्थरों से बने हुए थे। इनको माइक्रोलिथ या सूक्ष्म पाषाण कहा गया है।
लघुपाषाण : इस काल के औजार आमतौर पर बहुत छोटे होते थे। प्रायः इन औजारों में हड्डियों या लकडि़यों के मुट्ठे लगे हँसिया और आरी जैसे औजार मिलते थे।
नवपाषाण युग : इस काल में आदि मानव कृषि और पशुपालन दोनों प्रकार के कार्य करते थे। इस काल के औजार पुरापाषाणकालीन उपकरणों से भिन्न है। इसीलिए इन्हें नवपाषाण काल माना गया है। इस समय के औजार में धार को और अधिक तेज करने के लिए उन पर पॉलिश चढ़ाई जाती थी।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ
मध्यपाषाण युग (12, 000—10, 000 साल पहले)
बसने की प्रक्रिया का आरंभ (लगभग 12, 000 साल पहले)
नवपाषाण युग का आरंभ (10, 000 साल पहले)
मेहरगढ़ में बस्ती का आरंभ (लगभग 8000 साल पहले)
प्रश्नोत्तर
1. इन वाक्यों को पूरा करो। (क) आखेटक-खाद्य संग्राहक गुफाओं में इसलिए रहते थे क्योंकि बारीश, धुप हवा से उनकी सुरक्षा होती थी। (ख) घास वाले मैदानों का विकास 12000 साल पहले हुआ।
2. खेती करने वाले लोग एक ही स्थान पर लंबे समय तक क्यों रहते थे? उत्तर: खेती करने वाले लोग एक ही स्थान पर लम्बे समय तक रहते थे, क्योंकि भूमि को कृषि योग्य बनाने, उसमें पौधे लगाने, उनकी देखभाल करने के लिए उन्हें लंबे समय तक एक जगह रहना पड़ता था। बीज बोने से लंकर फसलों के पकने तक, पौधों की सिंचाई करने, खरपतवार हटाने, जानवरों और चिड़ियों से उनकी सुरक्षा करने और अंत में कटाई के बाद अनाज का उपयोग बहुत संभाल कर करना पड़ता था।
3. पुरातत्त्वविद् ऐसा क्यों मानते हैं कि मेहरगढ़ के लोग पहले केवल शिकारी थे, और बाद में उनके लिए पशुपालन ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया? उत्तर: पुरातत्वविदों द्वारा मेहरगढ़ की खुदाई में सबसे नीचे की स्तरों से जिन जानवरों की हड्डियाँ मिली है उनमें हिरण तथा जंगली सुअर प्रमुख है जिससे पता चलता है कि इस अवस्था में मानव केवल शिकार पर निर्भर था इसके ऊपर के स्तरों में भेड़ तथा बकरियों की हड्यिाँ ज्यादा मिली है। इससे पता चलता है कि इस काल में लोगों ने पशुपालन करना आरंभ कर दिया था।
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