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भारतीय मुद्रा प्रणाली और उसका इतिहास

  • Writer: K.K. Lohani
    K.K. Lohani
  • Aug 4, 2020
  • 7 min read

Updated: Mar 17, 2021




भारतीय मुद्रा प्रणाली और उसका इतिहास

  • भारतीय मौद्रिक व्यवस्था की इकाई ‘रुपया’ है।

  • भारत में भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा मुद्रा जारी की जाती है, जबकि पाकिस्तान में यह स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान के द्वारा नियंत्रित होता है।

  • रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के मौद्रिक नीति को ‘नीतिगत दस्तावेज’ केे नाम से जाना जाता है।

  • मौद्रिक नीति की घोषणा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रति छह माह के लिए लिए किया जाता है।

  • भारत में सर्वप्रथम पत्र मुद्रा का चलन 1806 में तथा कागजी मुद्रा (करेंसी) का प्रचलन 1862 में हुआ था।

  • भारत में मुद्रा 1, 2, 5, 10, 20, 100, 200, 500 और 2000 रुपये के मूल्य वर्ग में जारी की जाती है।

  • 15 जुलाई, 2010 को भारतीय मुद्रा को नया सिंबल ‘₹’ मिला, जो अंग्रेजी के ‘R’ तथा हिन्दी के ‘र’ अक्षर से मिलते-जुलते है।

  • ‘₹’ सिंबल के साथ अपने रुपए का अलग पहचाने रखने वाला भारत, विश्व का पाँचवा देश बन गया है। अन्य चार मुद्राएँ है – अमेरिकी डाॅलर ($), ब्रिटिश पाउण्ड स्टर्लिंग (£), जापानी येन (¥) एवं यूरोपीय यूरो (€)

  • रुपया का ‘र’ प्रतीक चिन्ह आई॰आई॰टी॰ गुवाहाटी के प्रोफेसर डी॰ उदय कुमार ने डिजाइन किया है। इसके लिए रिजर्व बैंक ने  250000 का पुरस्कार राशि घोषित किया था।

  • भारत में नोट जारी करने की न्यूनतम कोष प्रणाली अपनायी जाती है, जिसे अक्टूबर, 1956 में अपनाया गया था।

  • पूरे देश में एक रुपये के नोट को छोड़कर सभी नोट को छापने का एकाधिकार भारतीय रिजर्व बैंक के पास है।

  • एक रुपये के नोट छापने और सभी प्रकार के सिक्के बनाने का अधिकार वित्त मंत्रालय के पास है, पर पूरे देश में मुद्रा पूर्ति (नोट और सिक्के दोनों) करने का अधिकार केवल भारतीय रिजर्व बैंक के पास ही है।

  • एक रुपये के नोट वित्त मंत्रालय द्वारा निर्गमित होता है। जिसपर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते है। जबकि एक रुपये से अधिक के नोटों का निर्गमन रिजर्व बैंक के द्वारा होता है जिसपर रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते है।

  • रिजर्व बैंक द्वारा निर्गमित सभी नोटों पर हिन्दी तथा अंग्रेजी को मिलाकर कुल 17 भाषाओं में लिखा हुआ है।

  • भारत में चार बैंक नोट प्रेस तथा चार टकसाल है। सिक्के छापने वाली जगह को टकसाल कहा जाता है।

  • भारत में चार जगहों मुम्बई (1830), कोलकाता (1950), हैदराबाद (1903) तथा नोएडा (1989) में सिक्के ढ़ाले जाते है।

  • नोट प्रेस कामनोट प्रेस देवास (मध्य प्रदेश)देवास नोट प्रेस में 20, 50, 100 तथा 500 रुपए के नोट छापे जाते है। मध्य प्रदेश के देवास में ही नोटों में प्रयोग होने वाली स्याही का प्रोडक्सन होता है।करेंसी नोट प्रेस नासिक करेंसी नोट प्रेस नासिक में साल 1991 से, 1, 2, 5, 10, 50 तथा 100 रुपए के नोट छापे जाते है। पहले यहाँ सिर्फ 50 और 100 रुपए के नोट छापे जाते थे। लेकिन अब नासिक में 2000 और 500 के नए नोट भी छापे जाते है।

  • ‘ग्रेशम का नियम’ मुद्रा प्रचलन से सम्बंधित है।

  • ग्रेशम के नियमानुसार बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा दोनों चलन में हो तो बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है।

  • मुद्रा के तीन प्रकार है – 1. धातु मुद्रा (स्वर्ण मुद्राएँ, रजत मुद्राएँ, ताम्र मुद्राएँ आदि) 2. पत्र मुद्रा (कागज के बने विभिन्न अंकित मूल्य के नोट) 3. प्लास्टिक मुद्रा (क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, प्रिपेड कैश कार्ड)

  • मुद्रा के स्वरूप – सिक्का, पत्र-मुद्रा, जमा मुद्रा (बैंक मुद्रा), प्लास्टिक मुद्रा, आभासी मुद्रा (Virtual Money – Bitcoin)

  • मुद्रा स्फीति वह स्थिति है जिसमें वस्तुओं की कीमत बढ़ती है और मुद्रा मूल्य गिरता है।

  • मुद्रा स्फीति में ऋणी (लेनदार) को लाभ होता है।

  • मुद्रा-अवस्फीति में वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य घटता है तथा मुद्रा का मूल्य बढ़ता है।

  • मुद्रा स्फीति की माप दो तरीके से की जाती है – 1. थोम मूल्य सूचकांक (WPI-Wholesale Price Index) 2. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (WPI-Consumer Price Index)

  • थोक मूल्य सूचकांक(WPI-Wholesale Price Index): यह मुद्रा की क्रयशक्ति में थोक स्तर पर होने वाले परिवर्तनों की माप करता है अतः यह उद्योपतियों, व्यापारियों तथा सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए मुद्रा-स्फीति की गणना थोक मूल्य सूचकांक द्वारा किया जाता है।

  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (WPI-Consumer Price Index): इसे खुदरा कीमत सूचकांक भी कहते है। यह वस्तुओं की खुदरा कीमतों में होने वाले परितर्वनों को मापने के लिए बनाया जाता है, इसे जीवन निर्वाह लागत सूचकांक भी कहते हैं इस समय भारत में तीन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बनाए जाते हैं जिससे अर्थव्यवस्था के विभिन्न सामाजिक आर्थिक समूह को भत्ता एवं मजदूरी देने के लिए प्रयोग किया जाता है।

  • वर्तमान में थोक मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष  2011-12 है।

  • वर्तमान में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष 2012 है।

  • भारत में विदेशी मुद्रा का सर्वाधिक व्यय पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर होता है।

  • भारत को सर्वाधिक विदेशी मुद्रा रत्न एवं आभुषण से प्राप्त होता है।

  • सबसे अधिक महंगी मुद्रा पाउंड स्टर्लिंग है।

  • भारत ने वर्ष 1947 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा को कोष (IMF-International Monetary Fund) की सदस्यता प्राप्त की थी।

  • भारतीय नोटों को प्रिंट करने के लिए स्विट्जरलैंड के ‘सिकपा’ कंपनी से स्याही का आयात किया जाता है।

  • भारतीय मुद्रा (बैंक और करेंसी नोट कागज तथा नाॅन-ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर) में इस्तेमाल होने वाली कागज का निर्माण होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) की पेपर मिल में किया जाता है।

  • अन्य मुद्रा की तुलना में स्वदेशी मुद्रा के मूल्य का घटना अवमूल्यन कहलाता है।

  • मुद्रा अवमूल्यन का उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा तथा आयात को कम करना होता है।

  • भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन तीन बार 1949, 1966 तथा 1991 में हुआ है।

  • वह मुद्रा जिसमें शीघ्र पलायन कर जाने की प्रवृत्ति होती है उसे हाॅट मनी कहते है।

  • अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मुद्रा विनिमय दर मुद्रा की आपूर्ति और माँग द्वारा निश्चित की जाती है।

  • विदेशी मुद्रा विनिमय का अवैध कारोबार हवाला कहलाता है।

  • मुद्रा का कार्य है – मूल्य का मापन, मूल्य का हस्तान्तरण एवं मूल्य का संचय

  • ‘मुद्रा स्वयं मुद्रा निर्माण करती है’ यह कथन क्रोउमर के है।

  • वह मुद्रा जिसकी आपूर्ति माँग की अपेक्षा कम हो उसे हार्ड करेंसी कहते है।

  • वह मुद्रा जिसकी आपूर्ति माँग की अपेक्षा अधिक हो उसे साॅफ्ट करेंसी कहते है।

  • विकसित देशों की मुद्रा प्रायः हार्ड करेंसी होती है।

  • सरकार द्वारा पुरानी मुद्रा को समाप्त कर नई मुद्रा चलाना विमुद्रीकरण (Demonetisation) कहलाता है।

  • विमुद्रीकरण (Demonetisation) : विमुद्रीकरण एक आर्थिक गतिविधि है जिसके अंतर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्त कर देती है और नई मुद्रा को चालू करती है। इसका उपयोग काला धन, भ्रष्टाचार, नकली नोट, आतंकवादी गतिविधियों पर काबु पाने के लिए किया जाता है।

  • देश में अब तक तीन बार विमुद्रीकरण हुआ है। पहली बार अंग्रेजी सरकार ने 11 जनवरी, 1946 में 500, 1000 और 10 हजार के नोट बंद किये गये थे। दूसरी बार जनवरी 1978 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के द्वारा 1000, 5000 तथा 10 हजार नोट बंद किये गए थे। तीसरी बार 8 नवम्बर, 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए की मुद्रा बंद कर दी।

  • सांकेतिक सिक्का: जिसका अंकित मूल्य धात्विक मूल्य से अधिक होता है। उसे सांकेतिक सिक्का कहते है।

  • ‘‘मुद्रा वह धुरी है जिसके चारो ओर अर्थविज्ञान चक्कर लगाता है।’’ यह कथन सर जाॅन मार्शल के है।

  • चक्रवर्ती कमेटी का सम्बंध भारतीय मौद्रिक प्रणाली की पुनर्संरचना से है।

  • वैसी मुद्रा जो चलन में नहीं किन्तु लेखांकन मे प्रयुक्त होती है, वे कृत्रिम मुद्रा कहलाते है। जैसे – SDR

मुद्रा पूर्ति

  •  मुद्रा विनिमय के माध्यम का कार्य करती है। इसलिए मुद्रा की पूर्ति के अंतर्गत ऐसी सभी वस्तुओं की मात्रा को सम्मिलित किया जाता है जो विनिमय के माध्यम का कार्य करती है। अतः मुद्रा की पूर्ति में धातु मुद्रा, पत्र मुद्रा तथा साख मुद्रा को भी सम्मिलित करते है।

  • मुद्रा की पूर्ति पर सोने और चाँदी की मात्रा भी निर्भर करती है। इन धातुओं की मात्रा अधिक होने पर मुद्रा की पूर्ति भी अधिक होगी। यदि सरकार बिना मूल्यवान धातु की गारंटी लिए पत्र मुद्रा का निर्गमन करती है, तो मुद्रा की पूर्ति सरकार की मौद्रिक नीति पर निर्भर करती है।

  • मुद्रा की पूर्ति देश के व्यावसायिक बैंकों द्वारा रखे जाने वाले नकद कोषों द्वारा भी प्रभावित होती है। जब नकद कोष अधिक रखे जाते हैं, तो बैंकों की साख सृजन क्षमता कम हो जाती है। इस प्रकार मुद्रा की पूर्ति कम हो जाती है। केन्द्रीय बैंक की मौद्रिक नीति भी मुद्रा की पूर्ति को प्रभावित करती है। चलन गति अधिक होने पर मुद्रा की पूर्ति बढ़ जाती है तथा चलन गति कम हो जाने पर मुद्रा की पूति कम हो जाती है। इस प्रकार मुद्रा की चलन गति का भी उसकी पूर्ति पर प्रभाव पड़ता है। अप्रैल 1977 से रिजर्व बैंक मुद्रा पूर्ति के चार मापों (M1, M2, M3, M4) पर आँकड़े प्रकाशित कर रहा है, जो निम्न प्रकार है –

    1. M1 :  मुद्रा पूर्ति के पहले माप M1 में शामिल है। (संकीर्ण/संकुचित मुद्रा)

      1. जनता के पास करेन्सी जिसमें बैंकों के पास नकदी को छोड़कर परिचालन में सभी मूल्य वर्ग के सिक्के और नोट शामिल है।

      2. अंतः बैंक जमा को छोड़कर कमर्शियल बैंक और सहकारी बैंकों के मांग जमा। यह सर्वाधिक तरल रूप का प्रतिनिधित्व करता है।

      3. रिजर्व बैंक के पास ‘अन्य जमा’ जिनमें विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और बैंकों को छोड़कर IDBI, IFCI आदि अर्द्धवित्तीय संस्थाओं, वित्तीय संस्थाओं और विदेशी केन्द्रीय बैंकों के चालू खाते शामिल हैं।

    2. M2: मुद्रा पूर्ति का दूसरा नाम M2 है जिसमें M1 जमा डाकघर बचत जमा बैंक खाते शामिल हैं क्योंकि काॅमर्शियल और सहकारी बैंकों के बचत बैंक जमा मुद्रा पूर्ति में शामिल है, इसलिए डाकघर बचत बैंक जमा शामिल करना आवश्यक है। भारत में अधिकत्तर ग्रामीण और शहरी लोग बैंक जमा की तुलना में सुरक्षा के दृष्टिकोण से डाकघर जमाओं को अधिक मान्यता देते हैं।

    3. M3: भारत में मुद्रा पूर्ति का तीसरा माप M3 है, जिसमें M1 जमा अंतः बैंक (Interbank) समय जमा छोड़कर काॅमर्शियल और सहकार बैंकों के समय जमा शामिल हैं। रिजर्व बैंक M3 को ‘विस्तृत मुद्रा’ कहता है।

    4. M4: मुद्रा पूर्ति के चौथे माप में M3 जमा डाकघर के कुल जमा, जिसमें समय जमा और मांग जमा शामिल है। नोट: M1 से M4 की तरफ बढ़ने पर तरलता घटती है।

मुद्रा पूर्ति के लिए सूत्र:- M1 = C + DD + OD

C = जनता के पास करेन्सी और सिक्के। DD = वाणिज्यिक सहकारी बैंकों की माँग जमाएँ। OD = रिजर्व बैंक की अन्य जमाएँ

M2 = M1 + पोस्ट ऑफिस की बचत जमाएँ M3 = M1 + वाणिज्यिक तथा सहकारी बैंकों की समय जमाएँ M4 = M3 + पोस्ट ऑफिस की कुल जमा (राष्ट्रीय बचत पत्र के अतिरिक्त)

नोट:-

  1. उपर्युक्त चारों घटकों में M1 सबसे अधिक तरलता को प्रदर्शित करता है तथा वह तरलता क्रमशः घटती जाती है और अंतिम संघटक D4 में सबसे कम तरलता पाई जाती है।

  2. संघटक M1 को संकीर्ण मुद्रा (Narrow Money) जबकि संघटक M3 को विस्तृत मुद्रा (Broad Money) कहा जाता है।

  3. M1 तथा M3 का प्रयोग नीति निर्धारण तथा दिशा-निर्देशन के लिए किया जाता है।

मुद्रा के ऐतिहासिक तथ्य

  • रुपया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द ‘रुप्’ या ‘रूपयाह्’ शब्द से हुआ है, जिसका अर्थ चाँदी होता है।

  • रुपया शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग शेरशाह सूरी ने 1540 से 1545 ई॰ में अपने शासन काल के दौरान किया। (लगभग – 1542 ई॰ में)

  • शेरशाह के काल में जो रुपया चलाया गया वह चाँदी का सिक्का था जिसका वजन 178 ग्रेन (11.534 ग्राम) के लगभग था।

  • मुगल शासन के समय मौद्रिक प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए तीनों धातुओं (सोना, चाँदी, ताम्बा) के सिक्कों का मानकीकरण किया गया।

  • शेरशाह के समय शुरू किया गया ‘रुपया’ आज तक प्रचलन में है।

  • पहले रुपया 16 आने या 64 पैसे या 192 पाई में बाँटा जाता था।

  • रुपये का दशलवीकरण 1869 में सीलोन (श्रीलंका), 1957 में भारत में और 1961 में पाकिस्तान में हुआ।

  • 1987 में सबसे पहले महात्मागांधी के चित्र वाले 500 रुपये के नोट आये।

  • 1996 से सभी नोटों पर अशोक के स्तंभ के सिहों के स्थान पर महात्मा गांधी के चित्र वाले नोट आये जो अब तक चल रहे है।

  • रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर वाई॰वी॰ रेड्डी के कार्यकाल के दौरान 2005 में निर्गमित होने वाले नोटों पर नोटों के निर्गमन वर्ष छपना शुरू हुआ।

  • पहला निर्गमित नोट एक रुपए का था जो 1949 में चलन में आया, जिसपर सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ छपा था

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